चना वायदा (जुलाई) की कीमतों में 3,440 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 3,500 रुपये तक रिकवरी होने की संभावना है।
वर्तमान समय में चना को अन्य दालों से तगड़ी टक्कर मिल रही है। मटर का स्टॉक तेजी से कम हो रहा है, इसलिए खरीदार चना की खरीदारी करने लगे हैं। इस बीच भारत सरकार ने अप्रैल-जून में आयात के लिए सफेद मटर को प्रतिबंधति सूची में डाल दिया है और केवल 1 लाख टन का ही आयात होने से कीमतों को मदद मिलने की संभावना है। ऑस्ट्रेलिया में 2018-19 में चना का उत्पादन पिछले वर्ष के 10.30 लाख टन की तुलना में 40% की गिरावट के साथ 6.16 लाख टन होने की संभावना से भी कीमतों को मदद मिल सकती है।
सितम्बर में समाप्त होने वाले मौजूदा सीजन में कपास का अंतिम स्टॉक छह वर्षो के निचले स्तर पर पहुँचने की संभावना से एमसीएक्स में कॉटन (जून) वायदा की कीमतों में 22,800 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की संभावना है और कीमतों की गिरावट पर रोक लगी रह सकती है। इसके अतिरिक्त इस वर्ष कपास के उत्पादन क्षेत्र में गिरावट होने की संभावना है, क्योंकि उत्तर भारत में कपास की बुआई में पहले ही 15-20 दिनों की देरी हो चुकी है, जबकि मॉनसून में विलम्ब होने से दक्षिण भारत और मध्य भारत में भी बुआई के प्रभावित होने की संभावना है। निचले स्तर पर खरीददारी के कारण मेंथा ऑयल वायदा (जून) की कीमतों के 1,145 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 1,170-1,180 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। 2017-18 में मेंथा ऑयल का उत्पादन लगभग 30,000 टन होने का अनुमान है, जबकि कुल खपत 38,000-40,000 टन होती है।
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