चने में हो सकती है गिरावट, कॉटन में बढ़त की उम्मीद - एसएमसी

देश में दालों के पर्याप्त स्टॉक के कारण चना की कीमतों में फिर से नरमी का रुझान बरकरार रहने की संभावना है।

इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र सरकार ने मूल्य समर्थन योजना के तहत तूर और चना खरीदारी बंद कर दी है। इसलिए चना वायदा (जुलाई) की कीमतें 3,450 के सहारा स्तर से नीचे टूट कर 3,400-3,350 रुपये तक गिर सकती हैं। मौजूदा सीजन में कपास के उत्पादन क्षेत्र में कमी की आशंका से कॉटन की कीमतों में तेजी का रुझान बरकरार रहने की संभावना है। ऐसी खबर है कि पंजाब में कपास की बुआई लगभग 1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कम हुई है और किसानों ने बासमती चावल की खेती करना पसंद किया। अन्य कपास उत्पादक राज्यों में भी यही स्थिति है और किसानों ने कपास के बदले सोयाबीन की खेती करना पसंद किया है। कुल मिलाकर इस वर्ष कपास के उत्पादन क्षेत्र में लगभग 10-12% की गिरावट होने की संभावना है।

एमसीएक्स में कॉटन वायदा की कीमतों में 23,500 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कपास की कीमतों में तेजी का रुझान रहने की संभावना है, क्योंकि खबर है कि चीन 2019-20 तक प्रत्येक वर्ष लगभग 10-15 मिलियन बेल कपास का आयात करेगा। ग्वारसीड वायदा (जुलाई) की कीमतों के 3,600-3,700 रुपये के दायरे में साइडवेज कारोबार करने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जुलाई) की कीमतों के 7,400-7,700 के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। इन दोनों कमोडिटी की कीमतों का अनुपात पिछले महीने के 2.23 के उच्च स्तर से लुढ़क कर 2.08 हो गया है। इससे पता चलता है कि मिलों की ओर से ग्वार की माँग काफी कम हुई है और इसलिए कीमतों में नरमी का सेंटीमेंट बरकरार रह सकता है। 

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